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Moradabad Prahari

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RTI में बड़ी धांधली के आरोप ,राज्य सूचना आयोग में बड़ा घोटाला पेंशन के साथ पूरा वेतन ले रहे सूचना आयुक्त , करोड़ो के घोटाले के पीछे कौन? मुख्यमंत्री योगी से की गई शिकायत

ByMoradabadprahari

Nov 4, 2024

सेवानिवृत्त के बाद पेंशन भी और फिर सूचना आयुक्त का वेतन भी


सूचना आयोग की वेबसाइट पर सूचना आयुक्त प्रत्येक माह कि नहीं है पे- स्लिप

लखनऊ
उत्तर प्रदेश के सूचना आयोग में बड़ा घोटाला सामने आ रहा है सूचना आयुक्तों पर पेंशन के साथ पूरा वेतन लेने के आरोप लग गए हैं जबकि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 16 (5)में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है उसमें स्पष्ट लिखा है की सूचना आयुक्त को जो वेतन दिया जाएगा उसमें पेंशन का वेतन काट कर दिया जाएगा लेकिन सूचना आयुक्त के द्वारा प्राप्त किया जा रहे वेतन में से पेंशन के रूप में दी जा रही धनराशि काम नहीं की जाती इस तरह के आरोप एक जन सूचना मांगने वाले कार्यकर्ता ने लगाए हैं और इसकी शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की है वर्तमान में सातवें वेतन आयोग के अनुसार सूचना आयुक्त का वेतन 225000 निर्धारित होता है लेकिन सूचना आयोग में नियुक्त मुख्य राज्य सूचना आयुक्त राजकुमार विश्वकर्मा व सूचना आयुक्त सुधीर कुमार सिंह एवं अन्य सूचना आयुक्त पर पूरा वेतन लेने का आरोप लगाया गया है जिसमें से सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत पेंशन के फायदे को काम करके दिया जायेगा , किंतु ऐसा नहीं किया जा रहा है और यही नहीं 2005 से आज तक इसी तरह से सूचना आयोग में जितने भी सूचना आयुक्त की नियुक्ति की गई है उन सभी ने इसी प्रकार से वेतन प्राप्त किया है
जबकि नियम अनुसार


राज्य सूचना आयुक्त को दिए जाने वाले वेतन के
प्रत्येक माह की पे स्लिप सूचना आयोग की वेबसाइट पर अपलोड की जानी चाहिए ताकि जनता यह देख सके कि प्रत्येक सूचना आयुक्त को कितना वेतन दिया जा रहा है

इतना ही नहीं वेतन के साथ-साथ अन्य सुविधाएं भी प्राप्त की गई हैं इस प्रकार के घोटाले की रकम करोड़ों में हो जाती है भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भी सूचना आयुक्त की नियुक्ति पर टिप्पणी करते हुए कहा है की आयुक्त की नियुक्ति किस आधार पर की जाती है सरकार जवाब दे जिनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हो वह न्याय की कुर्सी पर बैठकर जनता के प्रति किस प्रकार न्याय कर सकेंगे यह चिंता का विषय है

इस तरह के आरोप लगाकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शिकायत की गई शिकायतकर्ता ने 2005 से दिए जा रहे वेतन की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है

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