आज 18.09.2024 रेलवे ऑफिसर्स क्लब ,निकट रेलवे स्टेडियम ,मुरादाबाद में राजभाषा पखवाड़ा-2024 के अंतर्गत विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजयी प्रतिभागियों को मण्डल रेल प्रबंधक राज कुमार सिंह ने पुरस्कार देकर सम्मानित किया।
रेलवे ऑफिसर्स क्लब,निकट रेलवे स्टेडियम,मुरादाबाद में एक कवि सम्मलेन एवं मुशायरा का भी आयोजन किया गया I
मण्डल में दिनांक से 05.09.2024 से राजभाषा पखवाड़ा- 2024 का आयोजन किया जा रहा है। आज राजभाषा पखवाड़े के अंतिम दिवस पर रेलवे ऑफिसर्स क्लब, निकट रेलवे स्टेडियम, मुरादाबाद में राजभाषा पखवाड़ा-2024 के अंतर्गत विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजयी 50 प्रतिभागियों को मण्डल रेल प्रबंधक राजकुमार कुमार सिंह ने पुरस्कार देकर सम्मानित किया।
रेलवे ऑफिसर्स क्लब, मुरादाबाद में एक कवि सम्मलेन एवं मुशायरा का आयोजन भी किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मण्डल रेल प्रबंधक राज कुमार सिंह ने अपर मुख्य राजभाषा अधिकारी एवं अपर मण्डल रेल प्रबंधक (परिचालन) राकेश सिंह, अपर मण्डल रेल प्रबंधक (इंफ्रा) एस.पी.तिवारी, राजभाषा अधिकारी एवं वरिष्ठ मण्डल परिचालन प्रबंधक (पी एम) डा० अंजू सिंह, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ इंद्रजीत कौर के साथ दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभांरभ किया। डा० प्रवीण राही द्वारा मंच पर मण्डल रेल प्रबंधक,अपर मण्डल रेल प्रबंधक (परिचालन) अपर मण्डल रेल प्रबंधक (इंफ्रा) को पुष्प प्रदान कर सम्मानित किया गया।
मण्डल रेल प्रबंधक द्वारा मंच पर उपस्थित सभी कवि एवम शायर को पुष्प एवं शॉल पहनाकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में मण्डल के अधिकारीगण,अनेक संख्या में रेल कर्मचारीगण एवम पत्रकार बंधुगण उपस्थित रहे।
मंच पर कवि सम्मलेन एवम मुशायरा कार्यक्रम का संचालन हास्य,व्यंग्य कवि एवम शायर डा० प्रवीण राही ने किया।
मंच से शायर जहीर राही, शायर नज्म इकबाल, हास्य व्यंग्य जय प्रकाश मिश्रा, हास्य कवि विपिन मलिहाबादी, शायरा कुमारी अंजना, गीतकारा श्रीमती मीनाक्षी दिनेश ने अपनी मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुतियां दीं —
मंच से दी गई प्रस्तुतियों में डॉ अंजना ने “राम सीता भी है राम लक्ष्मण भी है राम हनुमान भी है राम है सब जगह…”,
विपिन मलिहाबादी ने “ बस जरा देर में किरदार बदल जाता है। ईमान,धर्म और प्यार बदल जाता है, छोटों पर सदा हक़ जताने वालो का बड़ों के आते ही व्यवहार बदल जाता है।”,
डॉक्टर जयप्रकाश मिश्र ने “अभी चलना नहीं सीखा,शिखर की बात करते हो । चुभाकर शूल पावों में,मिलन की बात करते हो।
जुवां खामोश हो लेकिन निगाहें बोल देती हैं,निशाना तुम कहाँ साधे ,कहाँ की बात करते हो” ।,
डॉक्टर प्रवीण राही ने “गाड़ी की कीमत कलर नहीं कल पुर्जों से हैं खिड़की दरवाजों की रौनक पर्दों से हैं वकसित होकर भूल न जाना अपना कल्चर घर की शोभा पेंटिंग नहीं बुजुर्गों से है …”.
डॉ.सैयद नज़्म इक़बाल ने “सोज़ ए गुरबत से भी जो लोग गुज़र जाते हैं ज़िंदा रहते हैं मगर हौसले मर जाते हैं आशियां अपना जला जबसे तेरी बस्ती में रौशनी जब भी कहीं होती है डर जाते हैंI”
जिसे सुनकर कार्यक्रम में उपस्थित सभी को तालियां बजाने के लिए मजबूर कर मंत्र मुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम के अंत में मंच पर उपस्थित सभी कवि एवम शायर को शील्ड प्रदान कर सम्मानित किया गया।